दैनिक हिंदुस्तान सम्पादकीय 19-06-2011 (Page No 10)ये काल का क्रूर खेल ही है कि एक संपादक भी अपनी गलती छिपाने के लिए दूसरों कि और ऊँगली उठा रहा है और उन संतों को भी दोषी साबित करने कि कोशिश कर रहा है,जिन्होंने एक अनहोनी को बचाने कि कोशिश क़ी
युवा सन्यासी के देह त्याग से पहले हमारा पत्रकार समाज कहाँ बैठा था ?
राम लीला मैदान में आने से पहले बाबा को रिझाने कि कोशिश में नाकाम होने के बाद अर्धरात्रि में पुलिस कार्यवाही के बाद इस पत्र का सम्पादकीय कालम भी हमारे प्रधानमंत्री कि तरह गायब था !
बाबा रामदेव ब्रांड बन गए तो भी रामदेव जी ही दोषी हैं ...? वे अगर ब्रांड बन कर आयुर्वेद और योग का प्रचार कर रहे हैं तो क्या अपराध कर रहे हैं, इनका पत्र तो ब्रांड बनने के बाद एक प्रतिष्ठित अख़बार होने का दावा करने के बाद पुलिस क़ी अर्धरात्रि क़ी कार्यवाही पर सम्पादकीय लिखने से भी कतरा रहा था क्योंकि संपादक महोदय अपना सम्पादकीय भी अपनी कलम से न लिख कर उस कंपनी की कलम से लिखते हैं जिसमे वे कार्य रत हैं ,वैसे पूरे सम्पादकीय में उनकी बेबसी झलकती है
वे स्वयम ही कह रहे हैं कि गाँधी जी के भी कुछ आन्दोलन सफल नहीं हुए........! पर बाद में पूरी आजादी का श्रेय गाँधी जी के आन्दोलन को ही देने कि कोशिश कि गयी ,शहीद भगत सिंह ,जतिन दास ,नेता जी सुभाष चाँद बोस और ऐसे अनगिनत स्वतंत्रता संग्रामियों को भुलाने कि कोशिश कि गयी ,क्या इसके लिए भी गाँधी जी को दोषी ठहराया जायेगा यां अनगिनत स्वतंत्रता संग्रामियों को ? संत समाज ने देश कि एक अनहोनी घटना से बचाने का प्रयास किया है उनकी तुलना किसी भी राजनैतिक पार्टी से करना एक घिनोना प्रयास है
युवा सन्यासी के देह त्याग से पहले हमारा पत्रकार समाज कहाँ बैठा था ?
राम लीला मैदान में आने से पहले बाबा को रिझाने कि कोशिश में नाकाम होने के बाद अर्धरात्रि में पुलिस कार्यवाही के बाद इस पत्र का सम्पादकीय कालम भी हमारे प्रधानमंत्री कि तरह गायब था !
बाबा रामदेव ब्रांड बन गए तो भी रामदेव जी ही दोषी हैं ...? वे अगर ब्रांड बन कर आयुर्वेद और योग का प्रचार कर रहे हैं तो क्या अपराध कर रहे हैं, इनका पत्र तो ब्रांड बनने के बाद एक प्रतिष्ठित अख़बार होने का दावा करने के बाद पुलिस क़ी अर्धरात्रि क़ी कार्यवाही पर सम्पादकीय लिखने से भी कतरा रहा था क्योंकि संपादक महोदय अपना सम्पादकीय भी अपनी कलम से न लिख कर उस कंपनी की कलम से लिखते हैं जिसमे वे कार्य रत हैं ,वैसे पूरे सम्पादकीय में उनकी बेबसी झलकती है
वे स्वयम ही कह रहे हैं कि गाँधी जी के भी कुछ आन्दोलन सफल नहीं हुए........! पर बाद में पूरी आजादी का श्रेय गाँधी जी के आन्दोलन को ही देने कि कोशिश कि गयी ,शहीद भगत सिंह ,जतिन दास ,नेता जी सुभाष चाँद बोस और ऐसे अनगिनत स्वतंत्रता संग्रामियों को भुलाने कि कोशिश कि गयी ,क्या इसके लिए भी गाँधी जी को दोषी ठहराया जायेगा यां अनगिनत स्वतंत्रता संग्रामियों को ? संत समाज ने देश कि एक अनहोनी घटना से बचाने का प्रयास किया है उनकी तुलना किसी भी राजनैतिक पार्टी से करना एक घिनोना प्रयास है
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